जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम खुला पत्र
आदरणीय कुलपति महोदय,
अभी अभी आपके प्रशासन द्वारा निर्गत आदेश के बारें में ज्ञात हुआ(माफ़ कीजिये मैं सामान्यतया इतनी कठिन हिन्दी नहीं बोलता पर क्या करे प्रशासन या तो अंग्रेज़ी समझता है या कठिन हिन्दी ). खैर ... इस आदेश के अनुसार ज.ने.वि. के छात्र वो कोई भी फ़िल्म या वृत्तचित्र (documentary) नहीं देख सकते जिन्हें नियंत्रक मंडल (censor board) की सहमति प्राप्त न हो। आदरणीय महोदय, क्षमा करें यह विश्वविद्यालय अपनी बुद्धि और ज्ञान के लिये जाना जाता है न कि किसी नियंत्रक मडंल के लिये। यदि आपका तर्क मान ले तो , तो हम कभी भी, Fahrenheit 9/11(dir. Micheal Moore) , Final Solution(dir. Rakesh Sharma) , Paanch(Anurag Kashyap), The Bicycle Thief (dir. Bergman) जैसी फ़िल्में देख ही नही पायेंगे क्योंकि ये फ़िल्मे रीलिज ही नही हुई। मैं व्यक्तिगत रूप से ये मानता हूँ कि कि हर कलाकार और व्यक्ति को यह अधिकार है कि वो अपनी बात रखे , हम उस पर बहस कर सकते है, सहमत या अहसमत हो सकते है, और ज.ने.वि एक परिवार है लोगों की एक भीड़ नही। पता नही आप नेहरु प्लेस के पास magic lantern नामक दुकान पर गये या नहीं जो तमाम सारे वृत्तचित्र बेचते है, मेरा सवाल केवल यह है कि कौन यह तय करेगा कि हम कौन सी फ़िल्मे देखे और कौन सी नहीं? यदि आप ही यह तय करना चाहते है तो तो SL और SAA जैसे स्कूल बंद कर दीजिये क्योंकि कल आप भी यही तय करेंगे कि हम “पाश” पढ़े या नहीं। फिर आप ये भी किजिये कि अरूंधति राय और प्रो. चमन लाल की किताबे यहाँ बिकवाना बंद कर दीजिये , और लगे हाथ विद्रोही जी को भी तड़ीपार कर दीजिये, क्यों कि ये लोग सवाल करते है न सर !
सर! आपने उस आदेश में यह भी कहा है कि ऐसी कोई भी सभा ना आयोजित ना की जाये जिससे राष्ट्रीय एकता और सदभाव को ख़तरा है, सर आप बता सकते है कि पिछले कुछ सालों में किस सभा से ये ख़तरा हुआ, अगर यही है तो तो हम हिन्दू फ़ासिस्टों के बढ़ते ख़तरे पर बात न करें(मैं हिन्दू हूँ और उससे मेरी भावनायें भड़क सकती है न सर!!!), हम बजट पर न बात करे, ना आपरेशन ग्रीन हँट पर, ना ही चौरासी के दंगों पर, ना गुजरात पर, ना पूना पैंथर पर ,ना नरेगा की खामियों पर, हम यहाँ पढ़ने आये है अब क्या करें अगर हमारी PhD का topic नरेगा, या भारत की साम्प्रदायिक समस्यायें और राही का कथा साहित्य है, राष्ट्रीय सदभाव सबसे जरूरी है, हैं ना सर ? माफ़ कीजिए मुझे लगा कि ज. ने. वि. में क्लास से ज़्यादा पढ़ाई मेस की मीटिंग में होती है, गलती मेरे सीनियरों की है जिन्होनें जाने क्या क्या ख़्वाब दिखायें थे मुझे, अगली Alumni Meet में पूछूँगा उन से।
हमारा यह सौभाग्य है कि हमें आप जैसे बहुमुखी प्रतिभा वाला हिमेश रेशमिया सरीखा कु्लपति मिला जो हर कला में पारंगत है, सर आपसे अनुरोध है कि मुझे कबीर के बारें कुछ बातें पूछनी है, और आप मुझे यह भी बता दीजियेगा की मेरे शोध के विषय से राष्ट्रीय सदभाव और एकता को कोई ख़तरा तो नहीं?
आपका- विवेक कुमार शुक्ल; भारतीय भाषा केंद्र, ज. ने.वि.
8 comments:
wah ! so many GRE words :)
Good one Vivek
इस पत्र को पढ़ कर वी सी महोदय की अक्ल ठिकाने पर जरूर आ जाएगी. सर आपने जे एन यू की परंपरा को जिन्दा रखा है!
जे एन यू को तालिबानी बनने से रोकने के लिए हम लोग इस संघर्ष में साथ है! क्रन्तिकारी लाल सलाम सर !
If some one has watched a movie like bicycle thief, one understands the agony of Vivek on his blog.If JNU does not entertain this class of screening, it is really pathetic and would be difficult to imagine other unbiased platforms where one is accessible to intellectual freedom of life.
One should indeed take into account the rationality and wisdom of censor board and contemporary release of 'censored' screening.
If some one has watched a movie like bicycle thief, one understands the agony of Vivek on his blog.If JNU does not entertain this class of screening, it is really pathetic and would be difficult to imagine other unbiased platforms where one is accessible to intellectual freedom of life.
One should indeed take into account the rationality and wisdom of censor board and contemporary release of 'censored' screening.
bahut accha hai,jnu ki ek parampara rehi hai,ki wo un sabhi muddo per jagrit rehta hai jo samajik sarokar se judi hoti hai,koi bi chahe wo vice chancellor hi kyo na ho,isper rok lagane ka adhikar nahi hai.jnu ka talibanikaran ki her koshis nakam ki jayegi.accha sawal poocha v.c. se.
the order is revoked .. congratulations to all !!!
sir, any idea about "cut of marks" in Jnu BA language entrance exam? i m preparing for jnu.
आपके खुले पत्र को पढकर लगा कि जे एन य़ू मे खुले दिमाग वाले छात्र विरोध की परम्परा को जारी रखे हुवे है. विरोध की परम्परा ही समाज की प्रगति का आधार है.
माफ़ कीजिए मुझे लगा कि ज. ने. वि. में क्लास से ज़्यादा पढ़ाई मेस की मीटिंग में होती है, ... gud blow :)
Kudos for u ...
all d best!
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